Skip to main content

201.     यो तो मनक को हबाव हे, जो दुजाँ का दोस ने देकन हंसे, जिदाण वीनें खुद को दोस आद ने आवे, जाकी ने तो सरुआत हे अन ने खत्म।
– संत कबीर दास
202.     ने तो हेलो बोलबो बड़या हे अन ने जरुतऊँ छानो-मानो रेणो छावे, जस्यान के हेली बरका बी हऊ ने रेवे अन ने घणो तावड़ो बी हऊ ने रेवे।
– संत कबीर दास
203.     अणी दन्याँ में मनक को जनम घणो अबको मले, मनक को जमारो उस्यानिस आकुई दन ने मले जस्यान रूँकड़ा को पानड़ो झड़ जावे तो दुजी दाण डाळ्ळी पे ने आगे।
– संत कबीर दास
204.     ईं दन्याँ में आन कबीर आपणा जमारा में बस युईस छावे, के हारई जणा को भलो वेवे अन अणी दन्याँ में ने तो किकऊँ परेम अन ने किऊँ दुसमणी वेणी छावे।
– संत कबीर दास
205.     कबीर केवे के समंदर की लेराँ में मोती आन बरसग्या, बगलो वाँको भेद ने जाणे पण हंसाणो वाने होद-होदन खार्यो, ईंको अरत यो हे के कस्यो बी वीने वींको जाणकार जाणे।
– संत कबीर दास
206.     पास वेणो एक खराब माड़साब हे, या मनकाँ में भेम पेदा कर नाके, वो कदी फेल ने वेवे।
– बिल गेट्स
207.     जमारो बना न्याव को ने हे, वींकी तो आदत नाक लो।
– बिल गेट्स
208.     पास वेबा में राजी वेणो हऊ बात हे पण वींऊँ बी जरुरी हे आपाँ फेल वेबाऊँ बी हीक लेणी छावे।
– बिल गेट्स
209.     मूँ पेल्याऊँ कई आगलो काम होचन चालतो तो थाँने ने लागतो के मूँ वींने कई बराँ पेल्या पूरो कर नाकतो।
– बिल गेट्स
210.     जदी थाँकाणी बड़्या ने बणा सको तो कमूँ कम अस्यो करो के वो बड़्या दिके।
– बिल गेट्स
211.     जदी आपाँ आबा वाळा जमारा ने देका तो मुक्यो वो वेई ज्यो दुजाँ को भलो कर सके।
– बिल गेट्स
212.     नंद्‍याँ, तळाव, समन्द अन हलोळा– याँका नारा नारा नाम हे, पण यामें हारामी पाणी वेवे, ठीक वस्यानीस धरम वेवे वामें हारामी हाँच वेवे।
– मुहम्मद अली
213.     मूँ हारई में ऊँचो हूँ, में यो वींदाण क्यो जींदाण मने ध्यान ने हो, मूँ हूँ।
– मुहम्मद अली
214.     जो जोकम उटाबा की हिम्मत ने राके, वो वींका जमारा में कई ने कर सके।
– मुहम्मद अली
215.     जदी थाँकाणी मारऊँ हारबा को हपनो देको, तो हऊ रेई के ऊबा वेन मापी माँग लो।
– मुहम्मद अली
216.     दूजाँ मनकाँ की सेवा अणी धरती पे, थाँका घर को भाड़ो हे।
– मुहम्मद अली
217.     वे हामें ऊबा जो मंगरा कोईने हे, जो थाँने थका नाके पण वे थाँका जरबटा में फस्या तका काँकरा हे, जो थाँने थका नाके।
– मुहम्मद अली
218.     घर में मूँ हऊ मनक हूँ पण मूँ यो ने छऊँ के दन्याँ यो जाणे, मूँ यो देक्यो तको हे के हऊ मनक हेला आगे ने जावे।
– मुहम्मद अली
219.     खाली वीं मनक ने हारबा को मतलब नंगे हे, बराबर की टक्‍कर में आपणी आतमा जा सके अन जीतबा का बाते ओरी जोर पेदा कर सके।
– मुहम्मद अली
220.     उमर वा हे, जींका बाते थाँकाणी होचो, थाँका उतराईस भूडा हो, जतरा भूडा थाँकाणी खुद ने होचो।
– मुहम्मद अली
221.     आपणो एकीस जमारो हे, यो पगईं खतम वेजई, जो आपाँ भगवान के बाते कराँ, खाली वोईस बेंची।
– मुहम्मद अली
222.     छानो-मानो रेणो बड़्‍या हे, जटा तक थाँकाणी हऊ जबाब का बाते ने होच सको।
– मुहम्मद अली
223.     जो मने चालबा देवे, वो हे मारो आगलो काम।
– मुहम्मद अली
224.     दन मत गणो, दन ने काम को बणाओ।
– मुहम्मद अली
225.     आपणा हपना ने हाँचा करबा की सबऊँ बड़्‍या अटकळ, जाग जाओ।
– मुहम्मद अली
226.     जो थाँकाणी होचर्या, वो थाँकाणी बणर्या हो।
– मुहम्मद अली
227.     अकल या जाणणी हे के कदि थाँकाणी अकलदार ने वे सको।
– मुहम्मद अली
228.     बना दरपणीऊँ आपाणी हूँस्यार ने वे सका।
– मुहम्मद अली
229.     अस्यो कस्योई काम कोइने जो ने वे सके।
– मुहम्मद अली
230.    रीस मूँ भरम पेदा वेवे, भरम मूँ अकल भटके, जिंदाण अकल भटके वींदाण दुजा जवाब खतम वे जावे, जिदाण मनक को जमारो बगड़ जावे।
– श्री मद्धगवद् गीता 
231.     हमेस्यान संका करबा वाळा मनक के बाते राजी कोइने, वो ईं लोक में हे अन ने कस्यी दुजी जगाँ। 
–– श्री मद्धगवद् गीता
232.     अकलदार मनक अकल अन करम ने एक हरिका देके, वो सई माजनऊँ देके।
– श्री मद्धगवद् गीता 
233.     जो मन ने काबू मे ने राके, वाँके बाते वो दुसमण का जस्यान काम करे।
– श्री मद्धगवद् गीता
234.     आपणा जरुत वाळा काम करो, काँकि हाँच में काम करबा को ओजालो वेवे वीऊँ बड़्या हे।
– श्री मद्धगवद् गीता
235.     आतमा ने ग्यान की तरवारऊँ काटन आपणा मन मूँ अग्यान की संका ने न्यारी कर दो, ढंगू रेवो, उटो।
– श्री मद्धगवद् गीता
236.     मनक आपणा भरोसा मूँ बण्यो तको हे, जस्यो वो भरोसो करे, वस्यो वो बण जावे।
– श्री मद्धगवद् गीता
237.     नरग के तीन बाना –सोक, रीस, लाळच।
– श्री मद्धगवद् गीता
238.     ईं जमारा में ने तो कई गमे, ने कई बना कामको हे।
– श्री मद्धगवद् गीता
239.     मन सान्ति में कोइने अन वींने काबू में करबो अबको हे, पण आदत मूँ इने काबू में कर सकाँ।
– श्री मद्धगवद् गीता
240.     ठाबन्द आदमी के बाते, हुगलवाड़ा को ढुकलो, भाटो अन होनो हारुई एक हरिका हे।
– श्री मद्धगवद् गीता
241.     नुवी चीज ने बणाबा को पेल्याँ मूँ हे जणा चीजा की जाच हे।
– श्री मद्धगवद् गीता
242.     वीमूँ मत दरपो जो हाँचो कोइने हे, ने कदि हो अन ने कदि वेई, जो हाँचो हे वो हदई हो अन वींने कदि खतम ने कर सके।
– श्री मद्धगवद् गीता
243.     ग्यानी मनक ने करम मूँ मलबा वाळा फळ की अणदेकी करबा वाळा मनक का मन ने ने रोकणो छावे।
– श्री मद्धगवद् गीता
244.     हरेक मनक को बस्वास वींकी रेणी सेणी का हस्याब मूँ वेवे।
– श्री मद्धगवद् गीता
245.     जनम लेबा वाळा के बाते मोत ऊतरीस पाकी हे जतरो के मोत वेबा वाळा के बाते जनम लेणो, ई बाते जो वेबा वाळो वींऊँ घबराओ मती।
– श्री मद्धगवद् गीता
246.     किकुई दुजाँ को काम पूरो करबाऊँ तो कतरोई बड़्या हे आपणो काम करो, भलई वींने ने वेवे तुई आपणो काम करणो।
– श्री मद्धगवद् गीता 
247.     हूँस्यार मनक भगवान के सिवा किकई दुजाँ के भरोसे ने रेवे।
– श्री मद्धगवद् गीता
248.     भगवान हारी चीज मे हे, अन हाराँकी ऊपरे भी।
  – श्री मद्धगवद् गीता
249.     जो काम मे बना मेनत अन बना मेनत मे काम देके वो एक अकलदार मनक हे।
– श्री मद्धगवद् गीता
250.     करम योग हाँची मे एक परम छानो हे।
– श्री मद्धगवद् गीता
251.     करम वींने ने बान्दे जो काम छोड दिदो।
– श्री मद्धगवद् गीता
252.     अकलदार मनक ने मनकाँ को भलो करबा के बाते बना आळके काम करणो छावे।
– श्री मद्धगवद् गीता
253.     जो कुई बी कस्या बी देवता की सेवा मे बसवास करबा मूँ छावना राके, मूँ वाँका देवता में बसवास गाटो करदूँ।
– श्री मद्धगवद् गीता
254.     खाली मनईस किकुई दोस्त अन दसमण वेवे।
– श्री मद्धगवद् गीता
255.     अस्यो कई बी कोइने हे, चेतो कन बना चेता को, जो मारा बना बण्यो तको रे सके।
– श्री मद्धगवद् गीता
256.     मूँ हारई जीवाँ का काळजा में रेऊँ।
– श्री मद्धगवद् गीता
257.    वे जो ईं ग्यान में बसवास ने राके, मनें छाया बना जनम अन मोत का चक्‍कर में फर्यां करे।
– श्री मद्धगवद् गीता    
258.     दन्याँ की हारी एगट बना काम की वे जई, जदी यो हाँच हे के परेम रीसऊँ नरोगो वेवे अन वाने ऊगसाणा ने छावे।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
259.     खाली ऊजळा मन वाळो मनक ईं जमारा का ग्यान को अरत हमज सके। खुद का लारे एमानदार ग्यान का अलग की जरुत हे।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
260.     उमर कन मोट्यारपणा की टेम में लेणो देणो कोइने हे। आपाँ उतरा मोट्यार अन भूडा हा जतरो माकाने जणार्यो हे, माका आपणा बाते कई होच्‍यो हे यो माइनो राके।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
261.     किताबाँ वो सादन हे जिंकऊँ माका घणा रीति रेवाज का बच मे पळयो बणा सके।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
262.     कळा मनक के मन का उण्डा पड़ खोले, कळा जदीज वेवे जदी सरग जइगाँ के अड़े।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
263.     जनता को राज खाली खास मनकाँ को ने हे पण हरेक मनक ने मईला ग्यान पे भरोसो हे।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् 
264.     आपाने मनकपणा ने वाँ जड़ाँ तक पाचो ले जाणा छावे, जटऊँ रेणी-सेणी अन खुला रेबा को सरू वेवे।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
265.     किताब भणणी, आपाँने अकोळा में बच्यार करबा की आदत अन हाँचो राजिपो देवे।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
266.     जदी मनक रागस बण जावे तो या वींकी हार हे। जदी मनक मोटो मनक बण जावे तो वींको चमत्कार हे, अन मनक , मनक बण जावे तो वींकी जीत हे।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
267.     मनक जमारो जस्यो आपाणी जीवाँ वो मनक जस्यो जमारो जीव सकाँ वींका काचो रुप हे।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
268.     कुई बी जो खुद ने दन्याँदारीऊँ छेटी राके अन ईंकी अबकई के बाते चेतो ने देवे वो हाँची में अकलदार ने वे सके।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
269.     मनक खाली मसीन कोइने पण आतमा ने मोटी बणाबा की जरुत हे।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
270.    धन, जोर अन काम हूँस्यारी खाली जमारा का सादन हे, खुद जमारो कोइने।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
271.     जमारा ने खराब नजराऊँ देके अन दन्याँ ने एक भरम मानणो, खाली काम में लगन हे।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
272.     राजिपो अन मजा को जमारो खाली ग्यान अन बणाबा वाळा को आसरो हे।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
273.     मोत कदी खतम कन आँटी ने हे, पण हेलऊँ हेलो नवा काम की सरुआत हे।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
274.     सान्ति, नेतागरी अन रिप्या वाळो वेबऊँ ने आवे या तो खाली मनक का हबाव बदलबाऊँ आ सके।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
275.     ग्यान आपाने जोर देवे, परेम आपाने हारुई काम देवे।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
276.     जमारा को सबऊँ मोटो ईनाम एक मोटा जमारा को हपनो हे।
– डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
277.     किसमत खाली जोस वाळा मनकाँ का हाते रेवे।
– वुर्जिल
278.     मोट्यारपणा में जोस वेवे। कोपऊँ बादी वे जावे तो दया करबाऊँ पाणी बी वे जावे।
– मुंशी प्रेमचंद
279.     देस मूँ परेम मनक जात का मोटा गुण हाँच, सान्ति अन रूपाळो वेवे।
– नेताजी सुभाषचन्द्र बोस
280.     आद राको सबऊँ मोटो अपराद अन दुक सेणो अन गलत का हाते हमजोतो करणो हे।
– नेताजी सुभाषचन्द्र बोस
281.     एक हाँचा सेनिक की सेना अन खूद की जरुत वेवे।
– नेताजी सुभाषचन्द्र बोस
282.     पोथी में कदी बी बच्यार मे कस्योई अबको बदलाव ने कर सके ।
– नेता सुभाषचन्द्र बोस
283.     यो आपणो काम हे, आपाँ खुला रेबा को मोल आपणा लुईऊँ चुकावाँ, आपाने मरबाऊँ अन काम करबाऊँ जो खुलई मली हे, आपणा में वाँकी नंगे राकबा को जोर वेणो छावे।
– नेताजी सुभाषचन्द्र बोस
284.     आज आपणा मईने खाली एकीस छावना वेणी छावे, मरबा की छावना काँकि देस जीव सके, एक सेना में मरबा वाळा की मोत की छावना जदी देस को गेलो सहिदा का लुई मूँ खतम वेग्यो।
– नेता सुभाष चन्द्र बोस
285.     जो मनक बदला की भावना राके वो खाली खुद का घावाँ ने लिला राके।
– फ्रांसिस बैकन
286.     रीस अन दादागरी हऊ हमज का दसमण हे।
– महात्मा गाँधी
287.     रीस वो तेजाब हे जो कसी बी चीज पे नाक देवे तो, हेलो वीं ठामड़ा ने नंगसाण पुगा सके जिमें वींने मेल्यो तको राके।
– मार्क ट्वेन
288.     रीस वो बइरो हे, जो अकल का दीवा ने बुजा देवे।
– रोबर्ट ग्रीन इन्गेर्सोल्ल 
289.     कोई बी रीस में आ सके - यो होरो काम हे, पण हऊ मनकऊँ हऊ सीमा में हऊ टेम पे अन छावना के हाते हऊ अटकळ मूँ रीस में आणो यो हाराकी बस की बात कोइने हे अन यो काम होरो ने हे।
–    अज्ञात
290.     मोटा हपना देकबा वाळा मनकाँ का मोटा हपना हमेस्यान पूरा वेवे।
डा. अब्दुल कलाम
291.     जो मनक कदी गलती ने किदी, वो मनक कदि कई नुवो काम करबा की कोसीस ने किदी।
– अलबर्ट आइंस्टीन
292.     अणभण्यो वेबो उतरी सरम की बात ने हे, जतरी के हीकबा को मन ने राकणो।
– बेंजामिन फ्रैकलिन
293.     त्यारी करबा में फेल वेबा को अरत हे फेल वेबा का बाते त्यारी करणी।
– बेंजामिन फ्रैकलिन
294.     काम करबो हऊ भाग ने जनम देवे।
–    बेंजामिन फ्रेंकलिन
295.     जींका नके निरात हे वो ज्यो छावे वो पा सके। 
– बेंजामिन फ्रेंकलिन
296.     मनक एकलो पेदा वेवे अन एकलो मर जावे। अन वो आपणा हऊ अन बूरा करमाँ को फळ एकेलो भगते, अन वो एकलोई नरक कन सरग में जावे।
– चाणक्य
297.     जस्यानी दरपणी थाँका नके आवे, वींकऊँ लड़ई करन वींने खतम कर नाकणी।
– चाणक्य
298.     कस्यो बी मनक वींका कामऊँ मोटो बाजे, वो जनमऊँ मोटो ने वेवे।
– चाणक्य
299.     आपाँने निकळी तकी टेम का बाते पछताणो ने छावे, अन ने आबा वाळी टेम पे होचणो छावे, अकलदार मनक हमेस्यान अबाणू कई करणो वो होचे।
– चाण्क्य
300.     जदी थाँकाणी कस्याई काम ने चालु करो तो काम ने डपळबा मूँ ने दरपणो अन वीं काम ने छोडणो कोइने, जो मनक एमानदारी मूँ काम करे वो हारई राजी वेवे।
– चाण्क्य