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1.    राबड़ी केवे, मने बी दाँताऊँ खावो।
अर्थ– छोटा आदमी, बड़ी बात।
2.    काल करे जो आज कर, आज करे जो अब, पल में परले होई फेर करेला कब।
अर्थ–  कार्य को समय रहते कर लेना चाहिये।
3.    लूँकी करताँ, पूँछ भारी।
अर्थ– काम कम और मेहनत अधिक।
4.    काम तो ने करें पण बच में लाडा की भूवा बणे।
अर्थ–  दो लोगों के कार्य में तीसरे द्वारा बाधा डालना।
5.    आदा रोटा पे दाळ लेणी।
अर्थ– किसी कार्य में या लोगों कि बात में भागीदार बनना।
6.    बगड़्या ब्याव में नायण नाचे।
अर्थ– कार्य बिगड़ता तो है, लेकिन किसी दूसरे द्वारा और बिगाड़ना।
7.    परई हँसी गोळ बचे मीटी लागे।
अर्थ– दूसरों के दु:ख को देख कर खुश होना।
8.    गुदड़ी जतरीक लाम्बी वे, उतराकीस पग लाम्बा करणा।
अर्थ– जितना कार्य हो उतना ही खर्चा करना चाहिए।
9.    वो तो कुड़ा में पेड़ी पण थारे कई काम।
अर्थ– दूसरों की देखा - देखी नहीं करनी चाहिए।
10.    हाँप तो परोग्यो अन गिंसोड़ी ने कूटे।
अर्थ–  कार्य हो जाने के बाद उसकी और ध्यान देना।
11.    पामणा के लारे हाँप मारे तो आकई घरकाँ ने खावे।
अर्थ– दूसरों के भरोसे कार्य नहीं करना चाहिए।
12.    एक गार्रो कूड़ा में पड़े तो वींका लारे हारई गार्रा कूड़ा में पड़ जावे।
अर्थ– नकल नहीं करनी चाहिए।
13.    कळी- कळी खुलगी।
अर्थ– ज्यादा खुश होना।
14.    फोरे मुण्डे मोटी बात।
अर्थ– छोटा आदमी और बड़ी बातें करना।
15.    अक्‍कल को बळद।
अर्थ– दिमाग होते हुए भी गलत कार्य करना।
16.    आँक्याँ में धूळो नाकणो।
अर्थ– आँखों के सामने धोका देना।
17.    आँक्याँ खुलगी।
अर्थ– अचम्भा करना/आश्‍चर्य चकित होना।
18.    मान ने मान, मूँ थारो मेमान।
अर्थ– बिना मान-मनुहार वाला मेहमान।
19.     ढाँकणी में नाक डुबोन मरजा।
अर्थ–  आलसी आदमी को मर जाना चाहिए।
20.    डाडी मूँ हाँप निकळणो।
अर्थ– अचानक मुसीबत आना।
21.     हिंयाळ्या की मोत आवे जिंदाण काळबेल्या का डेरा में जावे।
अर्थ– जान-बूझकर मुसीबत लेना।
22.     पाणी उतारणो।
अर्थ– इज्‍जत का कम होना।
23.    ऊन्दरा की खाल मूँ नंगारो ने बणे।
अर्थ– छोटी चीज से बड़ा काम नहीं होता है।
24.    चोर-चोर मास्यात भई।
अर्थ– एक जैसा कार्य करने वाले लोग भाई समान होते है।
25.     जीवता रेवो जग में, काँटो भागो मती डाँवा पग में।
अर्थ– अच्छा आशीर्वाद देना ।
26.     ऊन्दरा की मोत आवे तो मनकी नके जावे।
अर्थ– अच्छा कार्य होते हुए भी बुरा होना।
27.    चोर बी कदी केवे, में चोरी किदी।
अर्थ– गलत कार्य करने वाला आदमी कभी नहीं कहता, यह मैंने किया।
28.     एकऊँ भला दो।
अर्थ– एक से भले दो।
29.    दो तो गारा का बी खोटा वेवे।
अर्थ– दो लोग तो मिट्टी के भी भारी होते है।
30.    चोर ने तो केवे के चोरी करज्ये अन हऊकार ने केवे हेरो रिज्ये।
अर्थ– बुराई करने वाला आदमी दोनों तरफ बोलता है।
31.     बेटा भला बेगार।
अर्थ– खाली समय में भी कार्य करते रहना चाहिए।
32.     ठकाणा को ठाकर बाजे।
अर्थ– अपनी-अपनी जगह पर सभी लोग अच्छे है।
33.     डाकण बेटा देवे के लेवे।
अर्थ– गलत कार्य करता हुआ मनुष्य कभी अच्छा कार्य नहीं कर सकता।
34.    पगाँ नीचे बळे, जो किनी ने दिके।
अर्थ– खुद की कमी खुद को नजर नहीं आती है।
35.    फाटा में पग फसाणो।
अर्थ– दूसरों की लड़ाई में टांग अड़ाना।
36.    ऊँकळी में मातो दिदो तो चोट धीरे आबा दो।
अर्थ– कठिन परिस्थिति में घबराना नहीं चाहिए।
37.     डेड हूँस्यार वेणो।
अर्थ– ज्यादा बोलने वाला आदमी।
38.    घर का डाण्डाऊँ आँक्याँ फूटे।
अर्थ– अपने हाथ से खराब कार्य होना।
39.    घर को भेदी लंका ढावे।
अर्थ– अपने घर का आदमी अपना बूरा सोचता है/ अपने घर का भेद रखने वाला हमारे को कभी भी नुकसान पहुचा सकता है।
40.    कण खावो अन मण खावो बराबर हे।
अर्थ– ज्यादा कार्य से (सही कार्य) कम कार्य भी बराबर है।
41.    भीलण भाबा ने बाटकी लादी जो पाणी पी-पीन पेट फाटग्यो।
अर्थ– किसी को अच्छी चीज मिल जाए, तो काम में ले कर खराब कर देता है।
42.     राड़ बचे, बाड़ भली।
अर्थ– लड़ाई से दूर रहना चाहिए।
43.    काम को ने करम को।
अर्थ– बिना काम का आदमी।
44.    माँग खावे मलक पटे।
अर्थ– भिखारी को काम की कोई जरुरत नहीं होती है।
45.    मनकी हो ऊन्दरा खान पाट बेटी।
अर्थ– चुपके से बुरा काम करना और लोगों में अच्छा दिखाना।
46.    मुण्डा में राम अन बगल में छुरी।
अर्थ– बोलने में मीठा और अन्दर मन में दुश्मनी।
47.    बाट्याँ घोळ वेगी।
अर्थ– किसी कार्य में असफल हो जाना।
48.    आपणी नीन्द हुणो अन आपणी नीन्द जागणो।
अर्थ– अपना काम स्वयं को करना चाहिए।
49.    दूद को दाज्यो खाटी छा मूँ दरपे।
अर्थ– एक बार धोखा खाने पर दूसरी बार होशियार हो जाना।
50.    चोदू लागे छाळे तेल गाँट को बाळे।
अर्थ– दूसरों के सिखाने पर चलना और स्वयं का खर्चा करना।

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