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1.    धोबी को कुत्‍तो ने घरको अन ने घाट को।
अर्थ– दोनों तरफ से आदमी किसी काम का नहीं होना।
2.    मनकी का केबाऊँ छींको ने टूटे।
अर्थ– बुरे आदमी के सोचने से बुरा नहीं होता है।
3.    मन चंगा तो कसोटी में गंगा।
अर्थ– अपना मन साफ होता तो सभी काम आसानी से होते हैं।
4.    दूद का दाँत बी ने निकळ्या।
अर्थ– होशियार नहीं होना।
5.    रात कींकई बाप की थोड़ी।
अर्थ– किसी कार्य को करना है तो समय का इन्तजार नहीं करना चाहिए।
6.    घरका खावे, खोज जावे, पराया फळो फूलो।
अर्थ– ईर्ष्या करना।
7.    हड़क्या के मुण्डे लाळ।
अर्थ–  कोई गलत कार्य करने की लत लगना।
8.    पाळ्यो गण्डक पिण्डी झूमे।
अर्थ– अधिक प्रेम वाला ही, अपना अहित करता है।
9.    घर बेटाँ, गंगा अई।
अर्थ– बिना मेहनत कार्य हो जाना।
10.    डेड स्याणो।
अर्थ– होशियारी करके दिखावा करना।
11.     बळाण भाबा ने अउकार दिदो जो छूले चोके हार्रे फरग्या।
अर्थ– लालची लोगों का आदर करते है, तो वो सभी चीजों का लालच करते है।
12.    रई का भाव रातऊँई पराग्या।
अर्थ– समय पर कार्य करना चाहिए।
13.     दन दूणो अन रात चोगुणी।
अर्थ– कार्य में बढ़ावा होना।
14.     बावड़ी को नाम गुलसप्पा।
अर्थ– किसी काम में फायदा नहीं मिले तो क्या मतलब?
15.     हात घर तो डाकण बी टाळे।
अर्थ– दुश्मन भी एक बार तो छोड़ देता है।
16.    एडी मूँ चोटी तक पसीनो आवे, जदी कमा खाण्याँ आवे।
अर्थ– कठिन मेहनत करना।
17.    हाँप का दर में हात गालणो।
अर्थ– ताकतवर आदमी से दुश्मनी करना
18.    पड़दे लछमी बसे।
अर्थ– गोपनीयता रखना।
19.    कदी घी घणा, कदी मुटी चणा।
अर्थ– कभी अमीर होना, कभी गरीब होना।
20.    पूत कपूत धन काँके सँचे, पूत सपूत तो धन काँके सँचे।
अर्थ– अगर पुत्र कुपुत्र हो तो धन का संचय करना किस काम का और पुत्र सुपुत्र हो स्वयं कमा लेता है।
21.     उछळन घोडा ने फोड़ना।
अर्थ– होड़ नहीं करनी चाहिए।
22.    माता में गण्‍डक को हाड़क्यो कई।
अर्थ– व्यर्थ बोलने वाले व्यक्ति के बारे में कहना।
23.    गण्डक का जस्यान काँ भसे।
अर्थ– अधिक बोलने वाला व्यक्ति।
24.    ढाँकणी में नाक डुबोन परो मर।
अर्थ– बिना काम का व्यक्ति।
25.     ओछो उतपात करे।
अर्थ– ओछा आदमी अधिक गलत कार्य करता है।
26.    घणा के खान्दे जई।
अर्थ– गलत आचरण वाले मनुष्य को लोग अधिक समय टिकने नहीं देते है।
27.    माँ पापणी वेवे, पण आपणी वेवे।
अर्थ– माँ कितनी भी बुरी हो लेकिन वह अपनी होती है।
28.     मोल्या ने कुटे तो पालो हाँगे।
अर्थ– कंगाल आदमी से कोई पैसे माँगता, तो उसको पीटने से कुछ नही ले सकता।
29.    बोली-बोली में रस हे अन बोली-बोली में जस।
अर्थ– आदमी प्यार से बोलता है तो अच्छा लगता है और कड़वा बोलता है तो बूरा।
30.    खालड़ी मूँ बान्‍ने ने निकळणो।
अर्थ– अपनी क्षमता के अनुसार चलना।
31.    पाणी पेली पाळ बान्दणी छावे।
अर्थ– किसी काम में सतर्क रहना।
32.    लड़ई में लाडू ने बाँटे।
अर्थ– लड़ाई में मिठाई नहीं मिलती।
33.    खाबा में आगे, लड़ई में पाछे।
अर्थ– लड़ाई में कभी आगे नहीं रहना चाहिए।
34.    हाती का दाँत खाबा का दूजा अन बताबा का दूजा।
अर्थ– आदमी का काम दिखाने में अलग और काम करने में अलग ।
35.    गण्डकड़ा की पूँछ बाँकी की बाँकी रेवे।
अर्थ– अहंकारी मनुष्य सब कुछ खोने पर भी अहंकार नहीं छोड़ता है।
36.    बना पाळ पाणी ने ढबे।
अर्थ– किसी कार्य को करने से पहले जाँच लेना चाहिए।
37.     हमजदार के तो असारो घणो।
अर्थ– समझदार आदमी के लिए तो इशारा ही काफी है।
38.    गजब थारी माया, कटे धूप अन कटे छाँयाँ।
अर्थ– कभी गरीब और कभी अमीर होना।
39.    गुरु गोळ अन चेला खाण्‍ड वेग्या।
अर्थ– सिखाने वाले से ज्यादा सीखने वाला होशियार होना।
40.    गरीब की लुगई ने हर कुई भाबी केवे।
अर्थ– अमीर आदमी गरीब आदमी को ज्यादा परेशान करता है।
41.    दूद को दूद अन पाणी को पाणी।
अर्थ– बिना भेदभाव के न्याय करना।
42.    थोतो चणो बाजे घणो।
अर्थ– व्यर्थ आदमी अधिक बोलता है।
43.    पावली की माताजी अन रिप्या को हन्दूर।
अर्थ–  काम थोड़ा और मेहनत अधिक होना।
44.    काळो अकर भेंस बराबर।
अर्थ– अनपढ़ आदमी के लिए अक्षर किसी काम के नहीं होना।
45.    भेंस का भड़े तंदूरो बजावो, तो वा जाणे मने कड़प नाकर्या।
अर्थ–  मूर्ख आदमी के सामने कुछ भी अच्छा कार्य करो, उसके समझ में नहीं आता है।
46.    आन्दो उटे घरका ने कुटे।
अर्थ– बिना गलती घर के ही सदस्यों को डाँटना।
47.    काम को, ने करम को।
अर्थ– निठल्ला आदमी जो बिना काम का।
48.    आन्दी पीसे अन कुत्ता खावे।
अर्थ– काम कोई करे और फायदा दूसरे को मिले।
49.    गरज वे तो गदेड़ा ने बाप केवे।
अर्थ– काम होने पर लोग किसी का भी अपना बना सकते है।
50.    सेर में हाती निकळे गण्डक घणा भसे।
अर्थ– ताकतवर आदमी के सामने कमजोर आदमी कितना भी बोले पर उसे कोई फर्क नहीं पड़ता है।

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