एक दाण एक राजा हा वे लड़ई में हारग्या हा काँ की वाँका राज का मंतरी वाँने धोको दे दिदो हो।राजा वीं हार ने सेन ने कर सक्या अन वे मन में दुकी रेबा लागा हा। उस्यान वे मान्दा बी वेग्या हा वाँ के मोराँ में एक गाँट वेगी ही। राजा माचा में हुत्ता रेता हा। एक दन राजा की गाँट को इलाज कराबा के बाते राजवेद ने बुलायो वींने वा गाँट बतई। वेद क्यो के ईं गाँट ने फोड़बा के बाते चीरो लगाणो पेड़ी। राजा ने चीरा मूँ दरपणी लागती ही। राजा क्यो के मारे चीरो ने लगाणो। राजवेद देक्यो के चीरो तो राजा ने लगाबा देवे अबे ईं गाँट ने कस्यान फोड़ाँ। वीं एक तरकीब होची ही। वीं क्यो के राते आप के राज में घणो बूरो वेग्यो। राजा क्यो के कई व्यो वेद क्यो राणी सा मर ग्या। राजा की हवा निकळ गी ही वे माचा पूँ जोरावरयूँ ऊट्या नी ऊटण्याँ आरयो हो तोई वे एक दाण जोर मूँ नीचे पड़ ग्या हा।पड़बा का धमिकाऊँ वाँकी वा गाँट फूटगी ही अन राजा हव वेग्या हा। पचे वीं वेद क्यो के राणी सा ने मरया में तो ईं गाँट ने फोड़बा के बाते या अटकळ कीदी ही। ईं वाते कुई एक अटकळ काम नी करे तो दूजी कळा होचणी छावे।
प्रसन-1. राजा लड़ई में कींका धोकाऊँ हारया हा?
2. राजा हार ने सेन ने कर सक्या हा तो वाँ के कई बिमारी वेगी ही?
3. राजा को राजवेद गाँट ने फोड़बा के बाते कई अटकळ होची ही?
ईं केणीऊँ भणबा वाळा मनकाँ ने कई अकल मले लिको —