एक भोपारी हो वींके च्यार बेटा हा, वाँका भोपार में एक दाण घाटो आग्यो हो अन वो गरीब वेग्यो। कांकी भोपार में हारई भक ग्या हा। वीं भोपारी का फोरा बेटा की भू बापू ने एक सल्ला दिदी, वीं क्यो के आजऊँ आपाँ सब जणा भेळा रेबा लाग जावाँ। भोपारी वीने मान ग्यो काँकी घर को खरच बी कम वेई। पछे एक दन वीं भू बापू ने क्यो के आप गाम में जावो अन सब मनकाँ ने केन आवो के वाँका घराँ को हारूई बगदो मारा बान्ना आगे लान नाक दे। वीं भोपारी की भू की बात में अचम्बो व्यो पण वीं जस्यान क्यो उस्यान कर नाक्यो हो। अन वीं दन गाम का मनकाँ गाम का हारई बगदो ने वीं भोपारी का बान्ना आगे ला नाक्यो। वीं बगदा में एक मर्यो तको हाँप भी हो। वीं हाँप ने एक हाँवळी देकरी ही वा वीं हाँप ने लेबा का बाते उटे नीचे उतरी ज्यो वीं का मुण्डा में एक होना को हार हो ज्यो उटे छोडगी अन वीं हाँप ने लेगी। भोपारी का बेटा की भू वीं हार ने घर में लियई। वो हार वीं नगर का राजा की राणी को हो ज्यो गम ग्यो। वा भोपारी की घर वाळी वीं हार ने राजा का घरे जान राणी ने लेजान दे दिदो हो। राजा की राणी वींने ईनाम देबा का बाते हीरा-पन्ना, होनो-चान्दी अन मोती देबा लागी। पण वीं ने लिदा हा। वीं क्यो के मारे तो खाली एक काम करणो। राणी क्यो के ज्यो थूँ केई वो करूँ। भोपारी की भूँ क्यो के दीवाळी की रात में आकई गाम का घरां में दीवो ने लागणो छावे खाली मारा घर के सवा। राणी बी क्यो के नी लागे। वा दीवाळी का कन राजा का केबाऊँ आकई गाम में एक बी गर में दीवो ने लगायो खाली वीं भोपारी का घरे दीवो लगायो तको हो। दीवाळी को दन हो लछमी के आबा को टेम हो। वीं गाम में लछमी घूमती-घूमती अई ही पण एक बी दीवो ने लागो तको हो लछमी घूमती-घूमती वीं भोपारी का घरे अई आगे वीं भोपारी की भू ही वीं क्यो के आज घरीब का घरे कस्यान अई जा कस्यई दूजा घरे। लछमी आकई गाम में फरगी पण कटेई ऊजीतो ने मल्यो हो। लछमी पाछी वीं भोपारी का घरे अई अन क्यो के मूँ आज थारा अटे उजीतो हे ईं बाते आज की रात मने अटे रबा दे। भोपारी की गर वाळी नटगी ही वीं क्यो के मारी एक सरत माने तो मूँ अटे रेबा दूँ। लछमी क्यो के ठीक हे थारी सरत मानूँ भोपारी की घर वाळी क्यो मारा घर में कदी बी गरीबी ने आणी छावे अन मारा घर में हमेस्यान धन धान रेणो छावे। लछमी क्यो के ठीक हे आजऊँ थारा घर में कदी गरीबी ने आवे यो मूँ वचन देरियूँ हूँ। ईं बाते अबकई में आरामऊँ काम करणो छावे।