1. एक रूँकड़ा एकी पान्दड़ो, वो बी रंग बिरंग।
करे विने नमन, मन में भरे उमंग।
– झंडो
2. तीन आँक्याँ के विंके फेर बी रेवे तीनी बंद, मीने पाणी भर्यो कटऊँ, पाळी पे हादो रंग।
– नारेळ
3. एक मेल के तीन बान्ना, खुले एक लारे, कमरो बी कोइने अन समान मेल्यो तको हे, फेर बी ठावो-ठिको हे।
– संक
4. एक चाले चीता की चाल, दूजो घोड़ होय।
तीजो चाले हाती की चाल, फेर बी हेट-बेट होय॥
– घड़ी
5. ने तो उबो जमीन पे, ने उपरे कई सारो।
कदी तो देवे ठण्डी छाँयाँ, कदी पड़े पीटो॥
– बादळा
6. मामा जी के नो लाक गाय, रात ने चरावे दन में बान्द देवे।
– तारा
7. ने किंकोई नुकसाण करे, बराबर पाँती कर नाके।
– ताकड़ी
8. कटे गळी में, कटे खेत में अन मंगरा पे उबो रेऊँ, माराऊँ हे जग उजाळो, हर मोसम मारो एक हरिको।
– लेण को थाम्बो
9. हाँप जस्यान मूँ लाम्बो, दोई मुण्डा मूँ चालूँ।
एक ई गेला में आऊँ-जाऊँ, हर दम आगे बडतो रेऊँ।
– रेल
10. एक पग पे उबो रेऊँ माता पे राकूँ छतरी, बड़्या वाळी साग केवे जाणो तो बतावो खतरी।
– मसरूम
11. बीजळी कड़की आसमान में, गाजे मन धड़कावे।
छाया बादळा छम-छम नाचे, गोप्याँ ने लुभावे।।
– मोर्यो
12. हाँज वेता-वेता तन थाके, नींद बुलावा लागी।
मन बावळो दर-दर भटके, कटे-कटे गुमावा चाली।
– हपनो
13. पल आवे पल में जावे, ठण्ड पसीना को एसास करावे।
– तावड़ो अन छाँयाँ
14. फाँकड़ा हे पण सुरगली कोइने, फेर बी उड जऊँ।
पणी में हे मारी दन्याँ, बिन पाणी मर जाऊँ॥
– माछळी
15. काळी काळी दिकूँ पण हाराकेई मन भाऊँ।
कवि ने हूँ पण हारई केवे, मीटा गीत हुणाऊँ॥
– कोयल
16. बाँद गळा में फाँसी को फंदो दब्या तका गारा का मीने,
खाबा ने जदी विंने उकालाँ, मजा मूँ लटकर्या बन्दर।
– मूँफळ्याँ
17. जतरो रोवे वतरो गमावे।
– मोमबत्ती
18. पाँच परेवड़ा पाँच ई रंग, घर में गुसे तो एक ही रंग।
– पान
19. दो बतकाँ के दो इण्डा एक उनो एक ठण्डो।
– हुरज अन चाँद
20. बत्तीस फींपळ्याँ के एक पान्दड़ो।
– ¬दाँत अन जीब
21. मूँ लीली मारा बच्या काळा, मणे छोडन बच्या ने खावे।
– इलायची
22. एक मंगरो अस्यो जणिमें पाणी भर्यो, रुकाळो विंको तीर चलावे आद अणा दे नानी।
– माक्यो माळ अन छातो।
23. रोज दन उगाँ टेम पे आवे, दन में सबने गेलो बतावे।
हाँज पड़्याँ हाराँकी जस्यान, आपणा घरे वो परो जावे।
– दन बावजी
24. हळद को गोळो रे भाया पीतळ को लोट्यो, ज्यो नी हेड़े वो ईंको बेटो।
– बीलपत्तर
25. तळाव का बचमें डोडो – बाँको रूँकड़ो।
– जळ कुम्बी।
26. रातो बळद हऊ लागे पण बाँका हींगड़ा दरपावे, पकड़बा ने हात लगावे तो हात के लबुर्या बर लेवे।
– बोर अन काँटा।
27. फोरा-फोरा थेला लेन घूमे जग में बाबा, ने करम का ने काम का फेर बी चमके ढाबा।
– काद्यो
28. दो मुण्डा की डोकरी पेट राके खाली, ठोके जदी रेबट की तो बी बोले मीटी।
– ढोलक।
29. अस्यो कस्यो वाहन हे ज्यो आपणा उपरे वेन निकळ जावे तो भी आपणे कई ने वेवे।
– हवा जाँज
30. बना पाता को जनावर, फाँकड़ा विंके हजार।
उड बी ने सके, फेर बी लागे बजार।
– किताब
31. अस्यी कसी चीज हे जिने काटबाऊँ लो रोवे कोइने पण गाणो गावे।
– केक
32. छत्तीसगढ़ का बचमें कुण हे।
– “स”
33. धरती में पळे बडे अन उपरे हरियाळी छाई।
साग को वो हुवाद बडावे, चपक्या रेवे हारई भई।
– लसण
34. एक फटू गेंचवा वाळो अस्यो ज्यो बरका में बी फोटू गेंचे।
– बीजळी।
35. हवा लागे तो मर जऊँ, तावड़ो लागे तो जीव जऊँ।
– पसीनो।
36. लेण बन्द वे कन चालू, पम्प चाले दन – रात।
कदी ने रुके अन कदी ने थाके, ने एक पल को आराम।
– फेंफड़ा
37. अस्या बादळा को नाम बतावो ज्यो दुक में बी बरे अन सुक में बी बरे।
– आँसू
38. हर्या रंग की चामड़ी, लाल वणिको माँस।
खा लो भाया जट-जट, गरमी मूँ बंचबा को काम।
– तरबूज्यो।
39. कटे सेर में कटे गाम में सब जगाँ परे मारो मारो।
पल में आऊँ, पल में जाऊँ, भड़े कोई आवे नी मारे।
– लेण
40. विद्या को मंदर केवे, जटे आपाँ ग्यान पावाँ।
क, ख, ग, घ, भण जमारो पार लगावाँ।
– इस्कुल
41. ने तो फाँकड़ा हे अन ने हे पग, फेर बी चाले पाणी में।
सब मनकाँ ने पार उतारे, जइगाँ हे वणिकि केणी में।
– नाव
42. रंग – रंगीला फाँकड़ा वाळी, सबके मन भावे।
भड़े कदी आवे नहीं, छेटी – छेटी उड जावे।
– तितली
43. फोरो बाळक नी हमझे, छाळा गणा करे।
मासी ने वेवे तो आराम हे, मासी मूँ दरपे।
– ऊन्दरो
44. गारा में जनम्यो मूँ गारा में मल जाणो हे।
पाणी भर दो मारा में, ठण्डो पाणी पाणो हे।
– कळी
45. नीचे इण्डो, उपरे डंडो।
– जमीकंद
46. एक चाले एक रुक्यो तको फेर बी दोई लारे हे।
– चक्की
47. एक घर, हजार लट्टू।
– आकास अन तारा।
48. पेट हे पेटू छत पे लोटू, ताराँ को जाळ बणायो।
– माकड़ी को जाळ्यो।
49. कँवळी गणी अबकी पळी, आज मोट्यार काले मरी।
– गुलाब।
50. काँकड़ में रूकड़ा घणा, काटो चक-चक उगे फट-फट।
– डाडी।