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काळो घणो रुपाळो खो, गडावोरिया वाळो रे (भजन)

काळो घणो रुपाळो खो, गडावोरिया वाळो रे।
श्री चार भुजा को नाथ चतुर्भुज माळा वाळो रे-टेर
सिर पर सोहे मुकुट मनोहर, कुन्डळ की छबी न्यारी रे
निलो वस्त्र पिताम्बर सोहे, बागा री हद मारी रे

ठुमक ठुकम कर चाल भवानी ले हाता तलवार (भजन)

ठुमक ठुकम कर चाल भवानी ले हाता तलवार
भवानी मारी जगतम्बा॥
अब दुर्बल के हलकारे भवानी आवज्यो ये - - - - -॥
1.    गेर गुमारो पेर घाघरो, ओडण दकणी रो चीर
भवानी मारी जगतम्बा॥
झाँझर रे झणकारे भवानी आवज्यो ये - - - -।

श्री राम चन्द्र को दूत पूत पवना को (भजन)

श्री राम चन्द्र को दूत पूत पवना को
कपि कदि न लजायो दूद मात अंजना को॥
सो योजन समंद लांग, सिया सुधि लिनी जी ।२।
अक्षय को पछाड, उजाड़ वाटिका दिनी
फिर लंका जला, जल डपर सेतु वराई सा-
दल पदय अठारह सेना सबल सजाई

ये दो दिवाने दिले के, चलो हे देखो मिला के (भजन)

तर्ज (ये दो दिवाने दिले के, चलो हे देखो मिला के)
जब जबर बली बल बंका, माँ सिया खोजने लंका
चला हे चला हे हनुमान॥टेर॥
सो योजन की एक फलडु की, कुदी गयो गर्याद समन्द की॥२॥
जा पहुँचा रण बंका, भई असुरों मन शंका॥चले हे॥

बार-बार तोहे क्या समजाऊँ पायल की झंकार (भजन)

तर्ज (बार-बार तोहे क्या समजाऊँ पायल की झंकार)
बार बार हरिनाम सुमिरले, मत व्हे राम को चोर।
अन्त समय में तेरा होगा न कोई ओर॥टेर॥
चार दिन की चाँदणी, अन्त अंदेरी रात हे।
करले बावला मोकला, जोबनियो ढल जात हे॥

ओ… पवन वेग से उडने वाले योद्‍दो (भजन)

तर्ज (ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े)
ओ….. पवन वेग से उडने वाले योद्‍दो।
बेटा चुपचाप क्यों, मेटो संताप तू, जाओ रे लंका रण बंकाओ।
बालपणाँ में उडा अम्बर पे, सुरज का जा ग्रास किया।
तब छोड़ा जब आय स्वयं, देवो ने बरदान दिया॥