एक दाण राजा का मेलाँ में एक नोकरी पे एक मनक हो, ज्यो काम करबा वाळो अन एमानदार हो अन बना हवारती हो। काम हो हाती, घोड़ा, होनो, चांदी, हिरा, मोती ये चीजाँ को मोल करन वाँका धण्याँ ने हऊ मोल दवाणो। वो मनक ईं काम ने हव करतो हो अन वो ईं काम मे काबिल हो। पण राजा ने दुजाँ मनकाँ हिंकाया के ईं मनक ने काम पे मत राको अन दूजा मनक ने राको। राजा बी वाँ मनकाँ के छाळे लागग्या हा। अन वीं मनक ने तो काम पूँ निकाळ दिदो अन वीं की जईगाँ दूजा मनक ने राक लिदो हो, जीं मनक ने काम पे राक्यो, वो बेण्डो अन लोबी मनक हो। एक दन राजा का राज में एक मनक घोड़ा लेन आयो हो, वो मनक वीं दुकान पे ग्यो अन घोड़ा को मोल पूछबा ने ग्यो। वो मनक वाँ घोड़ा को मोल दो सो रिप्या बताया, घोड़ा पचा हा अन रिप्या खाली दो सो हा, तो वीं घोड़ा वाळा मनक के भाव में ने जच्याँ हा अन वो वीं पेल्याँ वाळा मनक नके ग्यो हो। वीं मनक क्यो के थाँ आज वीं मनक का घरे जावो अन वींने पचा रिप्या को लोब दिज्यो अन किज्यो के मारा घोड़ा को मोल बडान लगाज्ये। वो घोड़ा वाळो बोपारी वीं मनक के घरे ग्यो अन वींने वीं पेल्याँ वाळे मनक बतायो उस्यान किदो, वो मनक मानग्यो हो। दुजे दन राजा वाँ घोड़ा को मोल लगाबा का बाते क्यो, वीं वाँ घोड़ा को मोल बतायो दो हजार रिप्या बताया। राजा की बी अतरा मोलऊँ आँक्याँ खुलगी ही, वा बात आकई राज में फेलगी ही, राजा ने वाँकी भूल को पछतावो व्यो अन वीं पेल्याँ वाळा मनक ने पाछो लगायो हो अन वींऊँ मापी मांगी।
ई केणी मूँ भणबा वाळा मनकाँ ने कई मले लिको–