एक दाण राजा का दरबार में एक माराज आया। वाँ माराज ने राजा थोड़ाक दन मेलाँ में रेबा के बाते क्यो हो। मिना-दो मिना केड़े राजा होच्यो के माराज तो अटे टकन रेबा की होचर्या हे। राजा होची के कस्यान बी करन याँ माराज ने अटऊँ निकाळणा पड़े। राजा माराज ने क्यो माराज आपाँ तिरत पे चालाँ। माराज राजा के हण्डे जाबा के बाते त्यार वेग्या हा। दोई जणा एक काँकड़ में जान रुक्या हा। माराज ध्यान में बेट ग्या हा। राजा वाँ माराज ने क्यो के आपणे मेलाँ अस्यो तो अटे कुईने हे अन यो चारा को बिछाणो हे। माराज क्यो मने तो ईं चारा का बिछाणा पे आराम मूँ नीन्द आई। राजा माराज ने क्यो के मने तो अटे नीन्द ने आवे अन थाने कस्यान आई। माराज क्यो के मारे मेल अन यो चारा को बिछाणो एक हरिको हे। अन मूँ तो मेलाँ का बिछाणा ने आयो वीं दाण उटेइस छोड्यायो अन थाँका ने छोड्यो ईं बाते थाने मेलाँ की आद आवे। मो-माया में मनक ने नी फसणो छावे।
प्रसन-1. माराज राजा का मेलाँ में आया वीं दाण राजा माराज ने कई क्यो हो?
2. राजा मन में कई होच्यो हो अन माराज ने कटे जाबा की क्यो हो?
3. राजा काँकड़ में माराज ने बिछाणा के बाते कई क्यो हो तो माराज वाँने कई जबाब दिदो हो?
ईं केणीऊँ भणबा वाळा बाळकाँ ने कई अकल मले —