भूत अन मनक की लड़ई

एक दाण एक गाम में तीन मनक हा, वे तीनी आतरा पे जार्या हा। वे तीनी गेला में एक बरला की छायाँ में रेमो लेबा का बाते रुक्या, गेला में वाने रात भी पड़गी ही। वाँ तीना में एक फे

भगवान को हण्डो

एक दाण एक मनक बाळपणा मूँ वो मोट्यार व्यो, तो वो चालतो हो तो जमीं पे वींका पगाँ का हेदाण के हण्डे एक जणा का ओर पगाँ का हेदाण नजर आता हा। पण वो भुडो व्यो, तो वींने वे दूजा

बीरबल की चतुरई

एक दाण अकबर का मेलाँ में हारई दरबारयाँ बीरबल ने फसाबा की कळा होची ही। हारई दरबारी होच्यो के कस्यान - कस्यान बीरबल ने फसाणो पड़े। दरबारी सल्ला किदी अन अकबर ने जान क्यो के

दान को फळ

एक दाण एक राजा हा, वाँके खोज जारर्यो हो, वाँके तीन राण्या ही पण वाँके बाळ-बच्या ने व्या हा। राजा एक दम उदास रेता हा। एक दन वाँके घरे एक माराज आया हा, वाँ राजा ने क्यो के

थूँ बी माराज बणजा

एक राजा हा, वाँका नंगर में बन्दोळी नीकळ री ही। वणी गेला में एक माराज बेटा हा। राजा का नोकर वाँ माराज नें क्यो के, माराज थोड़ाक गेला मूँ छेटी वेजावो। राजा की बंदोळी आरी। म

ठाला मनक ने काम पे राकन पछताणो

एक दाण राजा का मेलाँ में एक नोकरी पे एक मनक हो, ज्यो काम करबा वाळो अन एमानदार हो अन बना हवारती हो। काम हो हाती, घोड़ा, होनो, चांदी, हिरा, मोती ये चीजाँ को मोल करन वाँका ध